नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीस हजारी कोर्ट में गुरुवार को किसी भी सूरत में हड़ताल नहीं होगी और न ही किसी जज का बहिष्कार किया जाएगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा कि इस तरह की कोई भी गतिविधि गैरकानूनी होगी। कोर्ट ने संबंधित बार एसोसिएशन के सचिव को नोटिस भी जारी किया है। उन्हें मामले में पार्टी बनाया गया है।
चार मई को हुई मारपीट को लेकर एक महिला वकील ने एक अन्य वकील पर केस दर्ज कराया है। महिला ने अपने साथ हुई घटना के बारे में तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश प्रशांत कुमार को जानकारी दी थी। उन्होंने पुलिस से इस मामले में केस दर्ज करने को कहा था। वकीलों को लगा कि जज ने बेवजह इस मामले में दखल देकर छोटी सी बात को बड़ा विवाद बना दिया। इसके विरोध में बुधवार को छह जिला अदालतों में वकीलों ने कामकाज ठप रखा और तीस हजारी कोर्ट में जज प्रशांत कुमार बहिष्कार किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह का फैसला किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से कहा कि पीड़ित वकील को पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के बाद गुरुवार को उसके बयान दर्ज किए जाएं। बेंच ने कहा कि महिला के साथ जो कुछ हुआ वह चिंताजनक है। तीस हजारी में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराना कोर्ट को ठीक नहीं लग रहा, लिहाजा पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि महिला वकील के बयान दर्ज वह खुद दर्ज करेंगे।
बार एसोसिएशन ने बाद में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच को आश्वस्त किया कि वह हड़ताल पर नहीं जा रहे हैं। अदालत में सारा कामकाज होगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना की जाएगी। उनका कहना था कि सारे मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल से बार की समन्वयक कमेटी की बैठक हुई थी। उसके बाद यह फैसला लिया गया।
By Arti Yadav