ज़िन्दगी तमाम उतार-चढ़ावों के बाद भी चलती रहती है. कहने में ये बात जितनी आसान लगती है, इस बात को समझना और आत्मसात करना उतना ही मुश्किल है. ये तब ज्यादा मुश्किल होता है, जब हम जीवन के कठिन दौर से गुज़र रहे होते हैं. हम दुःख के इर्द-गिर्द ही अपने जीवन की बाकी चीजें भी बुनने लगते हैं. मगर हम ये सच स्वीकार करके जितनी जल्दी अपने जीवन में आगे बढ़ेंगे उतना ही बेहतर होगा.
ये बिल्कुल शून्य से शुरुआत करने जैसा है. मगर किसी सुबह तो आपको उठकर ये शुरुआत करनी ही होगी, जब आप खुद को ये बताएं कि और दुखी होने की बजाय अब खुद को खुश रखने का समय है.
जीवन को जीने का तरीका तभी बदलेगा, जब हम जीवन को देखने का अंदाज़ बदलेंगे. इस तनाव से उबरने के लिए एक उम्मीद की किरण भी अगर आपको दिख पाती है तो यकीन मानिये कि आप सुन्दर सुबह देख पाएंगे.
ये कुछ तरीकें हैं, जिनसे हम ये जान सकते हैं कि कैसे खुद को अकेले भी तनावमुक्त रखा जा सकता है, हमेशा एक सहारे की जरूरत ही हो ऐसा जरूरी नहीं है.
मुझे क्या खुश करता है? - खुद से ये सवाल जरूर पूछें कि मुझे क्या खुश करता है? और अपनी खुशी के लिए जो जरूरी लगता हो करें.
आभार व्यक्त करने से न चूकें आभार व्यक्त करने की आदत एक सुंदर आदत है. आभार आपको संवेदनशील और विनम्र भी बनाता है.
डायरी से दोस्ती- बिस्तर के करीब एक डायरी और पेन रखें. दिन भर किए गए अच्छे काम, अच्छी बातें या ऐसी बातें जिनसे आपको ख़ुशी हुई, उस डायरी में लिखें.
अकेले है तो क्या गम है - घर लौटने पर ये न सोचकर कि मैं इस घर में अकेले क्या करूं? ये सोचना ज्यादा अच्छा है कि किसी ने मेरा बिस्तर नहीं ख़राब किया, या मुझे घर जाकर किसी की बकबक नहीं सुननी होगी.
छोटी-छोटी खुशियों को मनाएं- जरूरी नहीं है कि खुश होने के लिए बड़ी वजहें ही खोजी जाएं. छोटी-छोटी चीजों पर खुश होना सीखें और बाहें फैलाकर उनका स्वागत करें. घर में सुगंध वाले फूल लेकर आएं. नई चीज़ें सीखें और सीखने की ख़ुशी को महसूस करें
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