फिल्म शोले में गब्बर के सवाल के जवाब में सांभा का वो डायलॉग तो आपको याद होगा पूरे पचास हजार. फिल्म में जब गब्बर ने पूछा कि अरे, ओ सांभा, सरकार कितना इनाम रखे हैं हम पर? इसके जवाब में सांभा कहता है, पूरे पचास हजार. हालांकि फिल्म में सांभा का ये किरदार निभाने वाले मैकमोहन को जब ये फिल्म आॅफर की गई थी तब कम डायलॉग होने के वजह से उन्होंने इस फिल्म को ना कह दिया था. लेकिन फिर उन्होंने ये रोल एक्सेप्ट कर लिया और सांभा का वो किरदार लोग आज तक नहीं भूल पाए हैं. आज मैकमोहन की पुण्यतिथि है. 10 मई 2010 को फेफड़ों के कैंसर से उनकी मौत हो गई थी. आईए जानते उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से-
24 अप्रैल 1938 को कराची में पैदा हुए मैकमोहन का असली नाम मोहन मखीनजानी था.मैक मोहन को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था. एक समय तो उन्होंने तय कर लिया था कि वो क्रिकेटर ही बनेंगे. एक इंटरव्यू में मैकमोहन ने बताया था वो उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के लिए भी खेले भी थे. उन दिनों क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग सिर्फ मुंबई में दी जाती थी इसलिए साल 1952 में वो मुंबई आ गए लेकिन मुंबई आने के बाद वो क्रिकेटर नहीं एक्टर बनने के सपने देखने लगे.
शुरुआती दिनों में वो थियेटर से जुड़े. मशहूर गीतकार कैफी आजमी की पत्नी शौकत कैफी एक स्टेज ड्रामा डायरेक्ट कर रही थीं इलेक्शन का टिकट. उसके लिए उन्हें एक दुबले-पतले लेकिन साफ बोलने वाले शख्स की जरूरत थी. मैकमोहन के किसी दोस्त ने उन्हें इसके बारे में बताया. उन्हें पैसों की जरूरत थी. मैक ने शौकत आजमी से बात की और उन्हें ये रोल मिल गया.
फिल्म इंडस्ट्री में मैकमोहन की शुरुआत चेतन आनंद के असिस्टेंट के तौर पर हुई. फिल्म थी साल 1964 में आई हकीकत. इस फिल्म में उन्होंने बृज मोहन का किरदार निभाया था. इस रोल के बाद मैकमोहन को बृजमोहन और मैक के नाम से ही कई किरदार निभाने का मौका मिला पर सिर्फ छोटी फिल्मों में. मैकमोहन ने एक इंटरव्यू में इन किरदारों को लेकर कहा था, 'बेगर्स कान्ट बी चूजर्स'.
अपने 46 साल लंबे करियर में मैकमोहन ने 200 फिल्मों में काम किया. ज्यादातर फिल्मों में उन्हें विलेन का रोल मिला और उन्होंने उस रोल को बखूबी निभाया भी. वो अपने कैरेक्टर को इतना जीवंत कर देते कि लोग असल जिंदगी में भी उन्हें उसी स्वभाव का समझने लगते.<br />फिल्म शोले में मैकमोहन ने एक डकैत का किरदार निभाया था. सांभा का उनका ये रोल इतना पॉपुलर हुआ था कि न्यूयॉर्क में एक इमीग्रेशन आॅफिसर ने उन्हें सचमुच गब्बर सिंह का आदमी समझ लिया था.
अमिताभ के साथ मैकमोहन ने जंजीर, डॉन, मजबूर, सत्ते पे सत्ता, शान, दोस्ताना, खून पसीना, काला पत्थर और हेरा फेरी जैसी कई हिट फिल्में दीं. फिल्ममेकर रमेश सिप्पी ने कहा था कि मैकमोहन ने जितनी खूबसूरती से सांभा का किरदार निभाया कोई नहीं निभा पाता. ये रोल उन्हीं के लिए बना ही था. मैक मोहन अंतिम बार फिल्म लक बाय चांस में नजर आए थे. अतिथि तुम कब जाओगे
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