जब भी किसी पीड़ित की मदद करें तो छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें. किसी को मानसिक मदद देने से पहले जोश में नहीं, शांत मन से सोचिए कि क्या आप तैयार हैं? अगर हां, तो सबसे पहले पीड़ित की समस्या सुनें. इसके बाद उन्हें अगला कदम उठाने की सलाह दें. इसके अलावा ऐसी बहुत सी बातें जिनका मानसिक मदद करते वक्त खास ख्याल रखें. जानिए कौन सी हैं वो बातें. (all images: getty)
पीड़ित कभी नहीं चाहता कि उसके साथ हुए अन्याय के बाद भी लोग उसे ही आलोचनात्मक नजरिए से देखें. कई बार महिलाएं उनके साथ मार-पिटाई करने वाले व्यक्ति के साथ दोबारा रहने को तैयार हो जाती हैं. पर, हर बार यह गलती करने के बाद भी वो आपसे बस मदद की आशा रखती हैं. ऐसे में भी पीड़िता की आलोचना करने से बचें.
पीड़ित को वो सुझाव दें जिन्हें अपनाने के बाद वह अपने जीवन को वापस पटरी पर लाने में सक्षम हो. जिससे उसमें आत्मविश्वास जागेगा और वह अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास भी करेगा.
पीड़ित को यह अहसास जरूर कराएं जो कुछ हुआ उसमें उसकी गलती नहीं थी. बार-बार दूसरों के आरोप लगाने की वजह से पीड़ित घटना की वजह खुद को ही मानने लगते हैं. हिंसा को किसी भी कारण से सही नहीं ठहराया जा सकता.
पीड़ित को इस बात का अहसास कराएं, वह जो भी आपसे शेयर कर रहा है आप उसे गोपनीय रखेंगे. उसकी बताई गई बातें या सुबूत, विश्वसनीय लोगों के अलावा किसी को नहीं बताया जाएगा.
घरेलू या किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित किसी व्यक्ति को सबसे पहले हादसे के भावनात्मक प्रभाव से बाहर निकालने की कोशिश करें. उसे किसी सुरक्षित जगह पर ले जाएं और उसकी सुविधाओं का ध्यान में रखें. वह जो बताना चाहे, सिर्फ वही सुनें. सब कुछ बताने के लिए दबाव न बनाएं. आपकी बातों से पीड़ित को यह अहसास कराएं उसके साथ कोई है, जो उसकी मदद करेगा. ऐसे हाल में उसे जो रास्ता दिखाएंगे वह धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास वापस दिलाएगा.
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