सोनम कपूर की शादी हो गई लेकिन उनकी तस्वीरें अभी भी इंस्टाग्राम और ट्विटर पर चक्कर लगा रही हैं. आने वाले कुछ दिनों तक सोनम की शादी का खूमार चढ़ा रहेगा. अजीब बात है कि सोनम कपूर की शादी में किस तरह उनके प्रशंसकों के अलावा उनकी भी रुचि है जिनकी वो शायद पसंदीदा अभिनेत्री न भो हो. आखिर कैसा क्या है जो हमें सेलिब्रेटी की जिंदगी से जुड़ी गतिविधियों को करीब से देखने या कहें कि झांकने के लिए व्याकुल करता है..क्या यह मानवजाति से जुड़ी कोई पुरानी आदत है...
सोनम कपूर ने इंस्टाग्राम पर अपने नाम के आगे ‘आहूजा’ जोड़ लिया है. सोनम कपूर के पति आनंद ने शादी में स्नीकर्स पहने हैं. सोनम कपूर के मेहंदी के लहंगे को बनने में 18 महीने लग गए. यह सभी खबरें और वीडियो या तो व्हाट्सएप पर आपके पास पहुंच गए होंगे या फिर आपने किसी तक इन्हें पहुंचा दिया होगा. पिछले कुछ दिनों से सोनम कपूर की शादी और उसकी तैयारियों ने जिस तरह हिंदुस्तानियों को व्यस्थ रखा हुआ है, उससे एक बारगी मन में सवाल उठता है कि आखिर क्यों हम बेगानी शादी में अबदुल्ला हुए जा रहे हैं.
ऐसा पहली बार नहीं है और न ही सिर्फ हिंदुस्तान में ही ऐसा होता है. हाल ही में ब्रिटेन के राजकुमार विलियम और उनकी पत्नी केट मिडिलटन तीसरी बार माता पिता बने. उनके बच्चे की पहली झलक देखने के लिए अस्पताल से बाहर लोगों की भीड़ लगी हुई थी. कुछ ऐसे भी थे जो हफ्तों से अस्पताल के बाहर डेरा जमाकर बैठे थे. इन सबको देखकर भी सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर सेलिब्रेटी को लेकर हम इतने उतावले और बावले आखिर क्यों हो जाते हैं. वो सेलिब्रेटी जिनसे हमारा दूर दूर तक कोई नाता नहीं है.
जानकार बताते हैं कि यह जानकर कि सेलिब्रेटी या ऊंचे तबके के लोग क्या करते हैं, उनका अनुसरण किया जा सकता है. कुछ लोग उनके जैसा बनने के लिए उनके रहन सहन को करीब से देखना पसंद करते हैं. वैसे भी सेलिब्रेटी को लेकर हमारा पागलपन नया नहीं है. नाम या फेम की कामना हम सदियों से करते आ रहे हैं. कहा भी गया है कि शोहरत का प्यार ऐसा प्यार है जिससे कोई ज्ञानी आदमी भी दूर नहीं होना चाहेगा. शोहरत की चाहत इंसान के भीतर सदैव ही रही है, ऐसे में किसी सेलिब्रेटी की जिंदगी में जब कुछ नया हो रहा होता है तो कहीं न कहीं हम उसी के भीतर उस अक्स को ढूंढने लगते हैं जिसकी कामना कभी हमने भी की होती है. फिर शादी के लंहगे से लेकर बच्चे के नाम तक सेलिब्रेटी वाले ही रखे जाने लगते हैं.
मानवविज्ञानी जेमी टेहरानी लिखते हैं कि फेम या शोहरत एक मजबूत सांस्कृतिक चुंबक की तरह है. हम इंसानों ने बहुत सारा ज्ञान, कौशल और विचार असफल होकर नहीं, बल्कि एक दूसरे की नकल करके ही हासिल किया है. यह अलग बात है कि हम आम लोगों से ज्यादा उन बातों और गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं जो किसी मशहूर व्यक्ति द्वारा की गई हो. इसके पीछे ऐसा मानना है कि वो बातें ज्यादा ध्यान खींचती हैं जो किसी नामी शख्स से जुड़ी हुई हो, फिर वो गलत ही क्यों न हो. इसका सीधा सा उदाहरण कपड़ों से लिया जा सकता है.
अभिनेता रणवीर सिंह अपने अजीबोगरीब फैशन के लिए जाने जाते हैं. अजीब सा चश्मा, अनोखी पैंट, पाजमे, रणवीर कुछ ऐसा पहनते हैं जो आमतौर पर फिल्म इंडस्ट्री में देखा नहीं जाता. लेकिन क्योंकि रणवीर एक बड़ा नाम बन चुके हैं, इसलिए उनका पहना आम लोगों द्वारा भी कॉपी किया जाता है. वहीं यही सब जब एक मोहल्ले का नौजवान करता है तब शायद ही उसका पहना हुआ फैशन माना जाए. यह कहना गलत नहीं होगा कि क्या पहना से ज्यादा जरूरी हो जाता है कि किसने पहना.
बताया जाता है कि सेलिब्रेटी का अनुसरण करना या उन्हें लगातार देखते रहना नई बात नहीं है. यह मूल इंसानी फितरत है जो मानव जाति के सफलता पूर्वक आगे बढ़ने और संस्कृति को हासिल करने के पीछे बड़ा रोल निभाती है. जहां अन्य प्रजातियों में शारीरिक ताकत के आधार पर सम्मान दिया और लिया जाता है. वहीं मानव जाति में आपकी कुशलता और योग्यता के आधार पर आप सम्मान या सेलिब्रेटी स्टेटस हासिल करते हैं. उसी दर्जे को स्वंय हासिल करने के लिए हम उन हस्तियों के - रहन सहन, विचारों को करीब से देखना और जानना पसंद करते हैं - जो इस दर्जे को पहले ही पा चुके हैं.
हालांकि कार्य कुशलता व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है लेकिन कई बार हमारे लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है. इसलिए हम सेलिब्रेटी को हूबहू कॉपी करने लग जाते हैं, बगैर यह समझें कि उनकी और हमारी परिस्थितियों में काफी फर्क होता है. यही वजह है कि हम तेंदुलकर की बैटिंग के साथ साथ उसके बल्ले के बारे में भी जानने में दिलचस्पी रखते हैं.
मनुष्य जिस पेचीदा समाज का हिस्सा है, वहां विविधता इस हद तक है कि सफलता के पैमाने और तरीके भी अलग अलग है. इसके बावजूद हम सेलिब्रेटी की जिंदगी में झांकना पंसद करते हैं, उनका अनुसरण पसंद करते हैं. शायद इसलिए क्योंकि हमारा दिमाग सम्मान और उससे जुड़े रवैये को एक साथ ही देखता है, अलग अलग नहीं. शायद इसलिए ही हम उनका पीछा छोड़ नहीं पाते और बार बार इंस्टाग्राम पर जाकर सोनम कपूर की शादी की तस्वीरों को निहारते हैं...
ऐसा पहली बार नहीं है और न ही सिर्फ हिंदुस्तान में ही ऐसा होता है. हाल ही में ब्रिटेन के राजकुमार विलियम और उनकी पत्नी केट मिडिलटन तीसरी बार माता पिता बने. उनके बच्चे की पहली झलक देखने के लिए अस्पताल से बाहर लोगों की भीड़ लगी हुई थी. कुछ ऐसे भी थे जो हफ्तों से अस्पताल के बाहर डेरा जमाकर बैठे थे. इन सबको देखकर भी सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर सेलिब्रेटी को लेकर हम इतने उतावले और बावले आखिर क्यों हो जाते हैं. वो सेलिब्रेटी जिनसे हमारा दूर दूर तक कोई नाता नहीं है.
सोनम कपूर की शादी का केक इंस्टाग्राम पर काफी देखा गया..
जानकार बताते हैं कि यह जानकर कि सेलिब्रेटी या ऊंचे तबके के लोग क्या करते हैं, उनका अनुसरण किया जा सकता है. कुछ लोग उनके जैसा बनने के लिए उनके रहन सहन को करीब से देखना पसंद करते हैं. वैसे भी सेलिब्रेटी को लेकर हमारा पागलपन नया नहीं है. नाम या फेम की कामना हम सदियों से करते आ रहे हैं. कहा भी गया है कि शोहरत का प्यार ऐसा प्यार है जिससे कोई ज्ञानी आदमी भी दूर नहीं होना चाहेगा. शोहरत की चाहत इंसान के भीतर सदैव ही रही है, ऐसे में किसी सेलिब्रेटी की जिंदगी में जब कुछ नया हो रहा होता है तो कहीं न कहीं हम उसी के भीतर उस अक्स को ढूंढने लगते हैं जिसकी कामना कभी हमने भी की होती है. फिर शादी के लंहगे से लेकर बच्चे के नाम तक सेलिब्रेटी वाले ही रखे जाने लगते हैं.
मानवविज्ञानी जेमी टेहरानी लिखते हैं कि फेम या शोहरत एक मजबूत सांस्कृतिक चुंबक की तरह है. हम इंसानों ने बहुत सारा ज्ञान, कौशल और विचार असफल होकर नहीं, बल्कि एक दूसरे की नकल करके ही हासिल किया है. यह अलग बात है कि हम आम लोगों से ज्यादा उन बातों और गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं जो किसी मशहूर व्यक्ति द्वारा की गई हो. इसके पीछे ऐसा मानना है कि वो बातें ज्यादा ध्यान खींचती हैं जो किसी नामी शख्स से जुड़ी हुई हो, फिर वो गलत ही क्यों न हो. इसका सीधा सा उदाहरण कपड़ों से लिया जा सकता है.
बताया जाता है कि सोनम ने शादी में दस किलो गहना पहना
अभिनेता रणवीर सिंह अपने अजीबोगरीब फैशन के लिए जाने जाते हैं. अजीब सा चश्मा, अनोखी पैंट, पाजमे, रणवीर कुछ ऐसा पहनते हैं जो आमतौर पर फिल्म इंडस्ट्री में देखा नहीं जाता. लेकिन क्योंकि रणवीर एक बड़ा नाम बन चुके हैं, इसलिए उनका पहना आम लोगों द्वारा भी कॉपी किया जाता है. वहीं यही सब जब एक मोहल्ले का नौजवान करता है तब शायद ही उसका पहना हुआ फैशन माना जाए. यह कहना गलत नहीं होगा कि क्या पहना से ज्यादा जरूरी हो जाता है कि किसने पहना.
बताया जाता है कि सेलिब्रेटी का अनुसरण करना या उन्हें लगातार देखते रहना नई बात नहीं है. यह मूल इंसानी फितरत है जो मानव जाति के सफलता पूर्वक आगे बढ़ने और संस्कृति को हासिल करने के पीछे बड़ा रोल निभाती है. जहां अन्य प्रजातियों में शारीरिक ताकत के आधार पर सम्मान दिया और लिया जाता है. वहीं मानव जाति में आपकी कुशलता और योग्यता के आधार पर आप सम्मान या सेलिब्रेटी स्टेटस हासिल करते हैं. उसी दर्जे को स्वंय हासिल करने के लिए हम उन हस्तियों के - रहन सहन, विचारों को करीब से देखना और जानना पसंद करते हैं - जो इस दर्जे को पहले ही पा चुके हैं.
सोनम के पति आनंद आहूजा ने रिसेप्शन में स्पोर्ट्स शूज़ पहने थे
हालांकि कार्य कुशलता व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है लेकिन कई बार हमारे लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है. इसलिए हम सेलिब्रेटी को हूबहू कॉपी करने लग जाते हैं, बगैर यह समझें कि उनकी और हमारी परिस्थितियों में काफी फर्क होता है. यही वजह है कि हम तेंदुलकर की बैटिंग के साथ साथ उसके बल्ले के बारे में भी जानने में दिलचस्पी रखते हैं.
मनुष्य जिस पेचीदा समाज का हिस्सा है, वहां विविधता इस हद तक है कि सफलता के पैमाने और तरीके भी अलग अलग है. इसके बावजूद हम सेलिब्रेटी की जिंदगी में झांकना पंसद करते हैं, उनका अनुसरण पसंद करते हैं. शायद इसलिए क्योंकि हमारा दिमाग सम्मान और उससे जुड़े रवैये को एक साथ ही देखता है, अलग अलग नहीं. शायद इसलिए ही हम उनका पीछा छोड़ नहीं पाते और बार बार इंस्टाग्राम पर जाकर सोनम कपूर की शादी की तस्वीरों को निहारते हैं...
from Latest News मनोरंजन News18 हिंदी https://ift.tt/2wtj82Q
No comments:
Post a Comment