पटना [जेएनएन]। वो रोती-बिलखती आंचल फैलाकर अजनबियों से भीख मांग रही थी। भीख जिसके पैसे से पति की लाश को एंबुलेंस में लादकर वह घर लौटती। महिला दुहाई दे रही थी मानवता की जिसका माखौल मंगलवार की दोपहर पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में उड़ रहा था। पति के शव को ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से न स्ट्रेचर मिला न एंबुलेंस।
चार घंटे की मशक्कत के बाद पत्नी ने एक हजार रुपये जमा किए जिसके बाद पति को निजी एंबुलेंस के सहारे घर ले जाया गया। ये सबकुछ अस्पताल प्रशासन की नाक के नीचे होता रहा। गार्ड तक ने चंदा दिया मगर अस्पताल के अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली।
पीएमसीएच के दामन पर ये एक और दाग है। पटना जिले की संपतचक निवासी सुशीला देवी ने मंगलवार को अपने पति बहादुर केवट को इलाज के लिए पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था। वह दिव्यांग था और गंभीर रूप से बीमार था। महिला का कहना है कि इलाज के दौरान पति की स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई।
गांव से आई गरीब महिला अस्पताल में एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक इलाज के लिए दौड़ती रही लेकिन डॉक्टरों ने एक न सुनी। इसी बीच बहादुर केवट की मौत हो गई। पति की मौत के बाद शव को घर ले जाने के लिए सुशीला के पास पैसे नहीं था। उसने अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस के लिए गुहार लगाई मगर यहां भी काम नहीं बना।
वह कंट्रोल रूम में बार-बार जाकर एंबुलेंस देने की मांग करती रही लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। अंत में कर्मियों ने शव को अस्पताल से बाहर लाकर जमीन पर रख दिया। वह पति के पास बैठकर मदद की गुहार लगाती रही लेकिन किसी ने मदद नहीं की। निजी एंबुलेंस वाले शव ले जाने के लिए एक हजार रुपए मांग रहे थे। इस बीच कुछ लोगों ने सुशीला को भीख मांगने की सलाह दी।
सुशीला ने पति का शव घर ले जाने के लिए लोगों के सामने आंचल फैला दिया। लोग तरस खाकर उसके आंचल में दस, बीस, 50 एवं 100 रुपए के नोट डालते चले गए। करीब चार घंटे के बाद जब एक हजार रुपए जमा हो गए तब एंबुलेंस चालक शव को घर ले जाने के लिए तैयार हुआ। इसके बाद पीएमसीएच के सुरक्षाकर्मियों की सहायता से शव को एंबुलेंस में लादा गया।
कोई भी महिला पति का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग करने अस्पताल प्रशासन के पास नहीं आई थी। अस्पताल में एंबुलेंस या शव वाहन की कमी नहीं है। अगर अस्पताल प्रशासन से सुशीला द्वारा एंबुलेंस या शव वाहन की मांग की जाती तो उसे वाहन अवश्य मुहैया कराया जाता।
डॉ.विजय कुमार गुप्ता, प्राचार्य, पीएमसीएच
By Ravi Ranjan